क्या हो गया है कांग्रेस को ??
दिल्ली में एक सीट कांग्रेस नहीं जीत पा रही है,
शर्म की बात है, दिल्ली में तो कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन कर सकती थी लेकिन आप के आगे अपने आप को बलिदान कर दिया, और हथियार डाल दिए, चांदनी चौक से कांग्रेस की अलका लाम्बा इतनी मेहनत कर रही थी सोशल साइटों पर चुनाव से पहले, काम न आयी वो भी ..ऐसे रणनीति किस काम की ? अन्य प्रदेशों में कांग्रेसी विधारधारा के लोग मन ही मन हाइकमाण्ड को कोष रहे हैं, अपना तो नाश करवा डाला थोड़ा बहुत हड्डी सूप हमें भी मिल जाता वो भी छीन लिया, भाजपा ज्वाइन कर नहीं सकते...कर लिया तो मंत्री पद, प्रतिष्ठा मिलेगा नहीं, सामने संघी बैठा होगा डंडा ले कर !लेकिन भाजपा 3 से 13 पार कर गयी...जैसा रुझान आ रहा है अभी तक, लेकिन प्रदर्शन बुरा नहीं हैं..लेकिन भाजपा ने स्थानीय मुद्दों को साइड कर और अजब-गजब टाइप का नेता दिल्ली को दे कर अपने पैरों पर बड़याठ (कुल्हाड़ी) मार डाली, उसके लिए दिल्ली अभी दूर है..दिल्ली को वोटर चिड़चिड़ा टाइप का है. पहले दिल वालों की दिल्ली होती थी अब तनाव वालों की दिल्ली है. न हवा है न पानी दिल्ली में, ऊपर से सड़कें जाम से ठुसी हुई..एक मेट्रो ने थोड़ा सांस दे रखा है लेकिन इतना समय मेट्रो के अंदर की बनी बनायी हवा को लेना सेहत के लिए ठीक नहीं है-दिल्ली से लोग अब दुसरे शहरों की तरफ शिफ्ट कर रहे हैं वहीँ हैं अब वहां जिनकी मजबूरी है नौकरी, पेशा, धंधा है ....या जिनका ठिकाना कहीं न रहा अब--लेकिन मुफ्त में कुछ चीजें दे कर केजरीवाल ने राज्य का नुक्सान किया है आने वाला समय ठीक नहीं है. कुर्सी जिसमे बैठेंगे वही चुभने लगेगी...शासन का चक्र कैसा चलता है आज जनता को कुछ लेना देना नहीं. क्योँकि जनता से कमाया जाता है और जनता के ऊपर खर्च किया जाता है. फ्री में देकर नहीं. जेब से तो नहीं दे रहा है. ..विजन किसी के पास है नहीं जो अच्छे नेता हैं वे आगे नहीं आ रहे हैं ...हजारों करोड़ों का घाटा कहाँ से कौन सहेगा ? कुर्सी चाहिए बस !! कुर्सी !!