कुछ दिन पहले नजफगढ़ के साई बाबा मंदिर के सामने एक राजनीतिक सभा हुई थी, जिसमे इलाके के सांसद और केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री भी पधारे थे...स्थानीय दिग्गज नेता और नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष जय किशन शर्मा भी थे.....साथ में कई छुट भैये नेता भी मौजूद थे.....लेकिन यहाँ हम जो अहम् मुद्दा है उस पर सोचा कि क्योँ न आप लोगों के साथ शेयर करूँ.....दुर्भाग्य से में नहीं आ पाया था उसमे...क्यूंकि में कुछ और कार्य में ब्यस्त था....और मुझे आते आते देर हो चुकी थी...खैर...बड़े नेता जब भी इलाके में आते हैं, लोग यही आस लगा कर बैठे होते हैं कि कुछ इलाके को दे के जायेंगे....मतलब विकास के नाम पर ! यहाँ पर भी नजफगढ़ कि मुख्या समस्या को लेकर कई दावे, ढोंग किये और रचे गए...मुद्दा था मेट्रो ट्रेन का नजफगढ़ में आना? क्या मेट्रो ट्रेन नजफगढ़ आ भी पायेगी या नहीं ....जैसे तैसे शहरी राज्य मंत्री को नजफगढ़ तो खींच लाये ...मगर मिला कुछ नहीं ..वही कोरा अस्वासन...दिखाने के लिए इलाके के सांसद महाबल मिश्रा ने भीख भी मांग डाली....लेकिन केंट्रीय मंत्री तस से मास नहीं हुए....बोला देखते हैं कि यहाँ पर आ पाती या नहीं ..कोशिश करेंगे.....देख्नेगे...बस !कुल मिलाकर कौन पूछे मंत्री जी से कि मेट्रो सरकेगी नजफगढ़ कि ओर ?
मेरा मानना है कि अगर इलाके में मेट्रो ट्रेन आ जाती तो आधा विकास का काम स्वयं हो जाता....गली..कूचे...नाली....या अन्य स्वस्थ्य ,शिक्षा जैसी समस्या के लिए हमें छुट भैये नेताओं के आगे गिडगिडाना नहीं पड़ता....खैर जो भी है..उस दिन सांसद ने भीख तो मांगी....कुछ तो हुआ..लेकिन ठोस के नाम पर कुछ नहीं हुआ....लोग फिर ढीले पद गए....केंद्रीय राज्य मंत्री तो आ पहुचे...जैसे तैसे..वो भी वो आये जिनका नाम तक नहीं सुना था....जय पाल रेड्डी क्योँ नहीं आये? क्या वे नहीं आ सकते थे...वे जाने माने नेता भी हैं, और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री भी हैं...लेकिन उन्हूने अपने सहायक मंत्री को भेज कर काम चला दिया..फिर से नजफगढ़ वालों को बेवकूफ बना दिया...फिर से मीठी गोली...कब तक चलेगा...जनता भी अच्छी खासी थी बताया जा रहा है ...मगर हाथ कुछ नहीं लगा...
जब सबसे पहले मेट्रो का ऐलान हुआ था...उस समय बारहखम्बा से नजफगढ़ लाइन थी....इन नेताओं और नौकर साहों को शर्म नहीं आयी....इन्हूने नजफगढ़ वालों कि जमीन तो ले ली..गन्दा और कुचीले मेट्रो ...के डब्बों को धोने के लिए लेकिन यहाँ के यात्रियौं को कोई सुबिधा नहीं दी...उल्टा जो ट्रेन आनी थी वो द्वारका में मोड़ दी..ऊपर से भ्रष्ट विभाग डीडीये के फ़्लैट उस समय नहीं बिक रहे थे...और मेट्रो को द्वारका के अन्दर एंट्री करवा कर नजफगढ़ कि कर डाली ऐसी तैसी...२.५ लाख लोग रोज सफ़र करते हैं इस इलाके से..लेकिन फिर भी मेट्रो वालों कि आँखें बंद रही...बाकी पट्टी बाँध दी दिल्ल्ही सरकार और उसकी मुखिया ने...अभी भी रोज तकरीबन ३० से जायदा ट्रेन्स नजफगढ़ डिप्पो में आ कर रूकती हैं लेकिन सवारी नहीं ले जाती ना लाती हैं...पता नहीं क्या परेशानी है इनको? इस वजह से नजफगढ़ वासियौं को दुगना तिगुना पैसे दे कर घर पहुचना पड़ता है.....विकास के नाम पर लोगों का बुरा हाल कर रखा है...लेकिन सुने कौन ? अब सुनने में आया है कि २०१५ के बाद चौथे फेस के जा कर मेट्रो का प्लान है....मेरी समझ में यह बात नहीं आती तब ला कर क्या ऐसान करना चाहते हैं....जबकि अभी लगत भी कम आएगी और जल्दी भी हो जायेगा काम...मगर नहीं ! कुल मिलाकर एक बार फिर से गोल मटोल कर मामला ठंडा .....ज़मीन के नाम पर हेल्थ सेंटर कि ज़मीन पडी हुई है उसका उपयोग कर सकते हैं...सम्बंधित विभाग दे देता है अच्छी बात है...बात तो की जा सकती है...वैसे भी उस ऐतिहासिक हेल्थ सेंटर को आज सफदरजंग और एम्स के सामान होना चाहिए था..क्योँ कि भारत का सबसे पुरानी डिस्पेंसरी हुआ करती थी यह...कोल्कता के बाद इसका नंबर था...लेकिन आज तक यह एक बोर्ड लगाकर ज़र- ज़र हालत में अपने साँसे गिन रही है....और बाहर से नर्स और डॉक्टर्स को यहाँ पर मरीज कि साँसें चलाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है...आप अंदाजा लगा सकते हैं क्या हस्र होता होगा उनका....राव तुला राम अस्पताल में कोई डॉक्टर आ कर खुश नहीं है...यह हालत राजधानी के अस्पताल की है....जो भी अधिकारी आते हैं या तो वह मज़बूरी में आता है या फिर नौकरी के अंतिम दिनों में ताकि सकुशल सेवा निवर्त हो सके...कम कुछ करना न पड़े...खैर एक बार फिर से नजफगढ़ आगे जाने के बजाये पीछे चला गया...पता नहीं क्या होता है अब?
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