Wednesday, June 16, 2010

नजफगढ़ बाजार को कन्वर्जन चार्ज से मुक्त कराया ट्रेडर्स एसोसिएशन ने


नई दिल्ली। सन् 2007 में जब पूरी दिल्ली पर नगर निगम के कन्वर्जन चार्ज की मार पड़ी तो नजफगढ़ मार्किट भी उसकी चपेट में आ गई। मास्टर प्लान 2021 की धारा 15 के अन्तर्गत नजफगढ़ बाजार को भी ‘मिक्स लैंड यूज’ के अन्तर्गत घोषित किया गया।
नजफगढ़ बाजार में सन्नाटा छा गया। मार्किट एसोसिएशन के अध्यक्ष गिरधारी सैनी के नेतृत्व में नजफगढ़ के निगम उपायुक्त से मुलाकात की और उन्हें बताया कि नजफगढ़ मार्किट तो 1962 से पहले की स्थापित मार्किट है और दिल्ली में नगर निगम की स्थापना से पहले ही यह अस्तित्व में थी इसलिए इस पर तो कन्वर्जन चार्ज लगाया ही नहीं जा सकता। उन्होंने इस आशय का एक पत्र भी उपायुक्त महोदय को सौंपा।
16 नवम्बर 2009 को एक्स. इंजीनियर (बी) का पत्र ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन को मिला जिसमें बताया गया था कि आपके बाजार को कन्वर्जन चार्ज और पार्किंग चार्ज से छूट नहीं मिलेगी क्योंकि डीडीए ने उस बैठक में जिसमें यह तय हुआ था कि 1962 से पहले के स्थापित बाजारों को, कन्वर्जन चार्ज से मुक्त रखा जाएगा, में नजफगढ़ मार्किट को शामिल नहीं किया था। अतः उन्होंने आदेश दिए कि तुरन्त नजफगढ़ का बाजार कन्वर्जन चार्ज जमा कराए।
इसके पश्चात् 18 फरवरी 2010 को नजफगढ़ टैडर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने गिरधारी लाल सैनी की अध्यक्षता में गोपी सिंहल, विजय गुम्बर, मनोज बब्बल और दिनेश पालीवाल के सहयोग से टैडर्स वेलफेयर एसोसिएशन की सभा में एकमत से निर्णय किया कि सभी तथ्यों के साथ नगर निगम के उच्चाधिकारियों को वस्तुस्थिति से अवगत कराया जाए।
इसके लिए उन्होंने नजफगढ़ जोन के उपायुक्त को एक विस्तृत पत्र लिखा जिसमें बताया कि 3 सितम्बर 1959 को दिल्ली सरकार ने गजट नोटिफिकेशन किया था जिसमें स्पष्ट लिखा था कि ‘दिल्ली के चीफ कमिश्नर यह सहर्ष घोषणा करते हैं कि नजफगढ़ कस्बे के छावला गेट, दिल्ली गेट और झड़ौदा गेट के अन्तर्गत आने वाला पूर्ण क्षेत्र मुख्य बाजार घोषित किया जाता है।’
इसके अतिरिक्त टैडर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने अनेक उन लाइसेंसों, गृहकर की प्रतिलिपियों, आयकर विभाग के नोटिसों इत्यादि का हवाला दिया जो समय-समय पर दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों ने 1962 से पहले नजफगढ़ बाजार के व्यापारिक प्रतिष्ठानों को जारी किए थे, जो इस बात का ज्वलंत प्रमाण थे कि नजफगढ़ बाजार 1962 से पहले ही एक पूर्ण स्थापित बाजार था।
चींटी की चाल से कार्यवाही करते हुए अनेक विभागों में घूमता हुआ नजफगढ़ वेलफेयर एसोसिएशन का पत्र आखिरकार दिल्ली नगर निगम के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आ ही गया। 18 मई 2010 को अंतत दिल्ली के चीफ टाउन प्लानर ने यह स्वीकार कर लिया कि 1962 से पहले ही नजफगढ़ मार्किट अस्तित्व में थी और नजफगढ़ मार्किट को बाजार मानते हुए 3 सितम्बर 1959 का गजट हमारे संज्ञान में उस समय नहीं आया था जब हमने नजफगढ़ मार्किट पर कन्वर्जन चार्ज और पार्किंग चार्ज लगाने का निर्णय लिया था। अतः टाउन प्लानर ने स्पष्ट किया कि नजफगढ़ बाजार को 1959 के सरकारी गजट के अनुसार कन्वर्जन चार्ज और पार्किंग चार्ज से मुक्त माना जाए।
अंतत नजफगढ़ बाजार पर लटकती कन्वर्जन चार्ज और पार्किंग चार्ज की तलवार को दिल्ली नगर निगम ने हटा लिया।
मार्किट एसोसिएशन के प्रधान गिरिधारी सैनी ने बताया कि हमारे इस अभियान में नजफगढ़ के विधायक भरत सिंह, दिल्ली नगर निगम में विपक्ष के नेता जयकिशन शर्मा और नजफगढ़ की निगम पार्षद सुधारणबीर शर्मा ने हरसंभव सहयोग दिया। उनके सहयोग से ही हम बाजार पर आए इस संकट से निजात पाने में सफल हुए।

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