Saturday, June 12, 2010

Friday, June 11, 2010

Najafgarh News & Events: झुग्गी से निकला IAS हरीश चन्द्र !

http://Najafgarh News & Events: झुग्गी से निकला IAS हरीश चन्द्र !

झुग्गी से निकला IAS हरीश चन्द्र !



झुग्गी
में रहने वाला एक लड़का बना आईएएस !जी हाँ यह सच है....है फक्र की बात..ये कारनामा कर दिखाया दिल्ली में 208 नंबर झुग्गी में रहने वाले हरीश चन्द्र ने..... सचमुच बहुत बड़ा काम कर दिखाया हरीश जी ने..केवल अपने लिए बल्कि समाज और पूरे देश के लिए ....रिजल्ट आने के दूसरे दिन जब हरीश जी हमारे न्यूज़ रूम में आये थे, और मेरे सीट के बगल में बैठे, मेरे जूनियर ने मुझे बताया की सर ये हैं आईएएस हरीश चन्द्र...!मैंने उनसे हाथ मिलाया और बधाई दी, यूपीएससी परीक्षा में पास होने पर..और पूछा क्या विषय थे? और कैसे तैयारी की ?उन्हूने सब कुछ बताया...दिल बहुत खुश हुआ, कोई इतनी गरीबी से पढ़कर इतने ऊंचे ओहदे पर पंहुचा है...इस बीच उनका थोड़ी देर में बुलेटिन में स्टूडियो से लाइव होना था....में फिर से न्यूज़ रूम में ख़बरों में ब्यस्त था....मन बहुत खुश था की कोई सख्स जो जमीन से जुड़ा हुआ है और इस मुकाम तक पहुचा...वो भी झुग्गी में रहते हुए..आप अंदाजा लगा सकते हैं झुग्गी की जिंदगी कैसी होती है..उन्हूने बताया की ये मेरा पहला और आंखिरी प्रयास था...क्यूंकि अगले प्रयास के लिए सायद माता पिता साथ नहीं दे पाते क्यूंकि गरीबी का जिन्न जो उनके दरवाजे पर कुंडली मारे बैठा हुआ था..लेकिन कहते हैं मेहनत कभी बेकार नहीं जाती.ऊपर वाला जब देता है छप्पर फाड़ कर देता है..वही हुआ..हरीश चन्द्र ने हार नहीं मानी हालातों से... और आज सर्बोच्च सीट पर बिराजमान है...में उनको देख कर एक पल तो हक्का-बक्का रह गया...लेकिन उनकी विल पॉवर देखकर गर्व भी हुआ...सबसे बड़ी बात झुग्गी से पले-बढे और इस मुकाम तक पहुचना बड़े फक्र की बात है...

दिल्ली की झुग्गी झोपडी में रहने वाले दिहाडी मजदूर के बेटे हरीश चंदर ने पहले प्रयास में तय किया आईएएस का सफर। यह कहानी है एक जिद की, यह दास्तां है एक जुनून की, यह कोशिश है सपने देखने और उन्हें पूरा करने की। यह मिसाल है उस जज्बे की, जिसमें झुग्गी बस्ती में रहते हुए एक दिहाडी मजदूर का बेटा आईएएस अफसर बन गया है। पिता एक दिहाडी मजदूर, मां दूसरों के घर-घर जाकर काम करने वाली बाई। कोई और होता तो शायद कभी का बिखर गया होता, लेकिन दिल्ली के 21 वर्षीय हरीश चंदर ने इन्हीं हालात में रहकर वह करिश्मा कर दिखाया, जो संघर्षशील युवाओं के लिए मिसाल बन गया। दिल्ली के ओट्रम लेन, किंग्सवे कैंप की झुग्गी नंबर 208 में रहने वाले हरीश ने पहले ही प्रयास में आईएएस परीक्षा में 309वीं रैंक हासिल की है। संघर्ष की सफलता की कहानी, हरीश चंदर की जुबानी।
मेरा बचपन: चने खाकर गुजारी रातें
मैंने संघर्ष की ऎसी काली कोठरी में जन्म लिया, जहां हर चीज के लिए जद्दोजहद करनी पडती थी। जब से मैंने होश संभाला खुद को किसी किसी लाइन में ही पाया। कभी पीने के पानी की लाइन में तो कभी राशन की लाइन में। यहां तक कि शौच जाने के लिए भी लाइन में लगना पडता था। झुग्गी में माहौल ऎसा होता था कि पढाई कि बात तो दूर सुबह-शाम का खाना मिल जाए, तो मुकद्दर की बात मानी जाती थी। बाबा (पापा) दिहाडी मजूदर थे। कभी कोई काम मिल जाए तो रोटी नसीब हो जाती थी, नहीं तो घर पर रखे चने खाकर सोने की हमें सभी को आदत थी। झुग्गी में जहां पीने को पानी मयस्सर नहीं होता वहां लाइट की सोचना भी बेमानी है। झोपडी की हालत ऎसी थी कि गर्मी में सूरज, बरसात में पानी और सर्दी में ठंड का सीधा सामना हुआ करता था।
मेरी हिम्मत: मां और बाबा
मेरे मां-बाबा पूरी तरह निरक्षर हैं, लेकिन उन्होंने मुझे और मेरे तीन भाई-बहनों को पढाने की हरसंभव कोशिश की। लेकिन जिस घर में दो जून का खाना जुटाने के लिए भी मशक्कत होती हो, वहां पढाई कहां तक चल पाती। घर के हालात देख मैं एक किराने की दुकान पर काम करने लगा। लेकिन इसका असर मेरी पढाई पर पडा। दसवीं में मैं फेल होते-होते बचा। उस दौरान एक बार तो मैंने हमेशा के लिए पढाई छोडने की सोच ली। लेकिन मेरी मां, जिन्हें खुद अक्षरों का ज्ञान नहीं था, वो जानती थीं के ये अक्षर ही उसके बेटे का भाग्य बदल सकते हैं। मां ने मुझे पढाने के लिए दुकान से हटाया और खुद दूसरों के घरों में झाडू-पोंछा करने लगी। उनके कमाए पैसों को पढाई में खर्च करने में भी मुझे एक अजीब सा जोश आता था। मैं एक-एक मिनट को भी इस्तेमाल करता था। मेरा मानना है कि आपको अगर किसी काम में पूरी तरह सफल होना है तो आपको उसके लिए पूरी तरह समर्पित होना पडेगा। एक प्रतिशत लापरवाही आपकी पूरी जिंदगी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।
मेरे प्रेरक : मां, गोविंद और धर्मेद्र सर
यूं तो मां मेरी सबसे बडी प्रेरणा रही है, लेकिन मैं जिस एक शख्स से सबसे ज्यादा प्रभावित हूं और जिसने मुझे झकझोर कर रख दिया, वह है गोविंद जायसवाल। वही गोविंद जिसके पिता रिक्शा चलाते थे और वह 2007 में आईएएस बना। एक अखबार में गोविंद का इंटरव्यू पढने के बाद मुझे लगा कि अगर वह आईएएस बन सकता है तो मैं क्यूं नहीं मैं बारहवीं तक यह भी नहीं जानता था कि आईएएस होते क्या हैं लेकिन हिंदू कॉलेज से बीए करने के दौरान मित्रों के जरिए जब मुझे इस सेवा के बारे में पता चला, उसी दौरान मैंने आईएएस बनने का मानस बना लिया था। परीक्षा के दौरान राजनीतिक विज्ञान और दर्शन शास्त्र मेरे मुख्य विष्ाय थे। विष्ाय चयन के बाद दिल्ली स्थित पतंजली संस्थान के धर्मेद्र सर ने मेरा मार्गदर्शन किया। उनकी दर्शन शास्त्र पर जबरदस्त पकड है। उनका पढाने का तरीका ही कुछ ऎसा है कि सारे कॉन्सेप्ट खुद खुद क्लीयर होते चले जाते हैं। उनका मार्गदर्शन मुझे नहीं मिला होता तो शायद मैं यहां तक नहीं पहुंच पाता।
मेरा जुनून : हार की सोच भी दिमाग में आए
मैंने जिंदगी के हर मोड पर संघर्ष देखा है, लेकिन कभी परिस्थतियों से हार स्वीकार नहीं की। जब मां ने किराने की दुकान से हटा दिया, उसके बाद कई सालों तक मैंने बच्चों को टयूशन पढाया और खुद भी पढता रहा। इस दौरान जाने कितने लोगों की उपेक्षा झेली और कितनी ही मुसीबतों का सामना किया। लोग मुझे पास बिठाना भी पसंद नहीं करते थे, क्योंकि मैं झुग्गी से था। लोग यह मानते हैं कि झुग्गियों से केवल अपराधी ही निकलते हैं। मेरी कोशिश ने यह साबित कर दिया कि झुग्गी से अफसर भी निकलते हैं। लोगों ने भले ही मुझे कमजोर माना लेकिन मैं खुद को बेस्ट मानता था। मेरा मानना है कि जब भी खुद पर संदेह हो तो अपने से नीचे वालों को देख लो, हिम्मत खुद खुद जाएगी। सही बात यह भी है कि यह मेरा पहला ही नहीं आखिरी प्रयास था। अगर मैं इस प्रयास में असफल हो जाता तो मेरे मां-बाबा के पास इतना पैसा नहीं था कि वे मुझे दोबारा तैयारी करवाते।
मेरी खुशी : बाबूजी का सम्मान
मेरी जिंदगी में सबसे बडा खुशी का पल वह था, जब हर दिन की तरह बाबा मजदूरी करके घर लौटे और उन्हें पता चला कि उनका बेटा आईएएस परीक्षा में पास हो गया है। मुझे फख्र है कि मुझे ऎसे मां-बाप मिले, जिन्होंने हमें कामयाबी दिलाने के लिया अपना सबकुछ होम कर दिया। मुझे आज यह बताते हुए फख्र हो रहा है कि मेरा पता ओट्रम लेन, किंग्सवे कैंप, झुग्गी नंबर 208 है। उस दिन जब टीवी चैनल वाले, पत्रकार बाबा की बाइट ले रहे थे तो उनकी आंसू भरी मुस्कुराहट के सामने मानों मेरी सारी तकलीफें और मेहनत बहुत बौनी हो गई थीं।
मेरा संदेश : विल पावर को कमजोर मत होने दो
मेरा मानना है कि एक कामयाब और एक निराश व्यक्ति में ज्ञान का फर्क नहीं होता, फर्क होता है तो सिर्फ इच्छाशक्ति का। हालात कितने ही बुरे हों, घनघोर गरीबी हो। बावजूद इसके आपकी विल पावर मजबूत हो, आप पर हर हाल में कामयाब होने की सनक सवार हो, तो दुनिया की कोई ताकत आपको सफल होने से रोक नहीं सकती। वैसे भी जब हम कठिन कार्यो को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हैं और उन्हें खुशी और उत्साह से करते हैं तो चमत्कार होते हैं। यूं तो हताशा-निराशा कभी मुझपर हावी नहीं हुई, लेकिन फिर भी कभी परेशान होता था तो नीरज की वो पंक्तियां मुझे हौसला देती हैं, 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूं.. '....सच में काबिले तारीफ....!समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के लिए प्रोत्साहित करने का उम्दा उदाहरण प्रस्तुत किया है हरीश चन्द्र ने !मेरी ओर से एक बार फिर से उनको हार्दिक बधाई......

Land for Sale in Najafgarh : 150 Yards

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कुछ ही देर में फुटबॉल के महाकुंभ का आगाज

जोहानिसबर्ग. विश्व के सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल के महाकुंभ की शुरुआत कुछ ही देर में होने वाली है। मुकाबले अगले एक माह तक दक्षिण अफ्रीका के 9 शहरों में खेले जाएंगे। प्रतियोगिता का पहला मैच सॉकर सिटी स्टेडियम जोहानिसबर्ग में होगा जिसमें 88 हजार लोग मैच देख सकेंगे।

पहला मैच भारतीय समयानुसार शाम 7.30 बजे से मैक्सिको-द.अफ्रीका के बीच होगा। दूसरा मैच रात 12.00 बजे से फ्रांस-ऊरुग्वे के बीच केपटाउन में खेला जाएगा। स्पर्धा की सारी टिकटें बिक गईं है और एक माह तक करोड़ों फुटबॉल प्रेमी टीवी पर और लाखों दर्शक स्टेडियम में फुटबॉल का आनंद ले

 12 मैचों से अजेय है द.अफ्रीका

पिछले कुछ वर्षो में दक्षिण अफ्रीका की फॉर्म के कारण वल्र्ड कप में मेजबान टीम की उम्मीदें बहुत क्षीण मानी जा रही थी। वल्र्ड  फुटबॉल महासंघ (फीफा) के अध्यक्ष सैप ब्लेटर ने भी दक्षिण अफ्रीकी टीम के प्रदर्शन की आलोचना की थी। 

पिछले वर्ष नवंबर में जबसे ब्राजील के कालरेस अल्बटरे परेरा ने टीम का कोच पद संभाला है तबसे उसका लगातार १२ मैचों में अपराजेय क्रम जारी है। टीम के गोलकीपर इतुमे लेंग खुने ने कहा ‘मेजबान होने के नाते हमें सभी मैच जीतने होंगे। हम तीन उलटफेर करने में सक्षम हैं। 

मैक्सिको भी कम नहीं

उधर पिछले सप्ताह ब्रुसेल्स में अभ्यास मैच में गत विजेता इटली के खिलाफ मिली अप्रत्याशित जीत से मैक्सिको का मनोबल सातवें आसमान पर है। टीम ने अभ्यास मैचों में इंग्लैंड और नीदरलैंड के खिलाफ भी अच्छा प्रदर्शन किया था।

टीम के स्टार फॉरवर्ड कालरेस वेला ने कहा  ‘हमारी रणनीति हमेशा गेंद का अच्छा इस्तेमाल करने की रही है। इसको ध्यान में रखते हुए हमारे कोच जेवियर अगायर ने उन खिलाड़ियों का चुनाव किया है जिन्हें इस काम में महारत हासिल है।’

मैक्सिको के लिए अच्छी खबर यह है कि उसके स्ट्राइकर गुइलरमो फ्रैंको चोट से उबर चुके हैं जिससे अगायर के पास विकल्पों की संख्या बढ़ गई है। फ्रैंको को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जेवियर हर्नाडीज के साथ आजमाया जा सकता है।  टीम के ३१ वर्षीय डिफेंडर राफेल मार्केज भी चोट से उबर चुके हैं और अभ्यास में जुटे हैं। 

मैक्सिको इससे पहले भी चार बार वल्र्ड कप  के उद्घाटन मैचों में खेल चुका है। अंतिम बार उसने अपनी जमीन पर वर्ष १९७क् में सोवियत संघ के साथ उद्घाटन मैच गोलरहित ड्रॉ खेला था। इससे पहले उसे तीनों उद्घाटन मुकाबलों में शिकस्त झेलनी पड़ी थी और टीम ने इस दौरान ११ गोल खाए थे।

छुपे रस्तम की तरह उतरेगा फ्रांस

वर्ष १९९८ के चैंपियनऔर गत उपविजेता फ्रांस के हाल के वर्षो के निराशाजनक प्रदर्शन ने उसके कट्टर समर्थकों को भी उससे दूर कर दिया है और कोई उस पर दाव लगाने को तैयार नहीं है लेकिन यही बात फ्रांस के पक्ष में जा सकती है और वह बिना किसी दबाव के वल्र्ड कप में शुक्रवार को ऊरुग्वे के खिलाफ छुपे रुस्तम के रूप में शुरआत करेगा।

जहां तक टीम फॉरमेशन का सवाल है तो  टीम के कोच रेमंड डोमिनिक ने हाल के मैचों में 4-3-3 का संयोजन आजमाकर सबको चौंकाया है। हालांकि उनकी इस रणनीति ने टीम का खेल चुस्त हुआ है लेकिन इससे डिफेंस में उसकी कमजोरियां भी उजागर हुई हैं। फ्रांस अपने पहले मैच में कप्तान हेनरी को बेंच पर छोड़ सकता है जबकि पूर्व चैंपियन उरग्वे की उम्मीदें अपने शीर्ष स्ट्राइकर डिएगो फोरलान पर टिकी रहेंगी।

फोरलान ने स्पेन में एट्लेटिको मेड्रिड को यूरोपा लीग जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और वह एक विश्वस्तरीय स्ट्राइकर के रूप में उभरकर सामने आए हैं। वे अभ्यास के दौरान अपनी जांघ की चोट से भी पूरी तरह उबर चुके हैं।
 
खास बातें

31 दिन चलेगा वर्ल्डकप 

32 टीमें हिस्सा लेंगी 

10 स्टेडियम में होंगे मुकाबले

64 मैच खेले जाएंगे

736 खिलाड़ी दिखाएंगे दमखम

204 टीमें खेलीं क्वालिफाइंग में

70 हजार कर्मचारी जुटे रहे निर्माण कार्य में

2500 रेंड प्रतिमाह मिले प्रत्येक कर्मचारी को

8.4 बिलियन रेंड खर्च हुए निर्माण पर

2004 में मेजबानी मिली थी दक्षिण अफ्रीका को 

40 मिलियन डॉलर उन क्लबों को वितरित किए जाएंगे, जिनके खिलाड़ी वर्ल्डकप में खेल रहे हैं।

Thursday, June 10, 2010

NIOS Result: National open school 12th Class Result 2010

NIOS Results 2010 The National Institute of Open Schooling (NIOS) has announced the Open School Result 12th Class. The NIOS National Open School Result 2010 for Senior Secondary Class NIOS 12th Result April / May Final Examination has declared on 9th June 2010. Students can check NIOS 12th Result please visit the below link:
http://www.nios.ac.in/result/searchsr-res2.html
Congratulations to all students!


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NIOS Result 2010 | National open school Result| NIOS 10th Class Result 2010

NIOS Results 2010 The National Institute of Open Schooling (NIOS) has announced the Open School Result 10th Class. The NIOS National Open School Result 2010 for Secondary Class 10th Result April / May Final Examination has declared on 10th June 2010. Students can check  NIOS 10th Result please visit the below link:
http://www.nos.org/result/result.html

Congratulations to all students!

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Monday, June 07, 2010

One More Star From Najafgarh

West Delhi, Najafgarh | MH 1 TV Channel द्वारा संचालित संगीत प्रोग्राम AWAAJ PUNJAB DE (4) 2010 NAJAFGARH निवासी  YASHPREET ने २२००० संगीत प्रतियोगियों को हरा कर प्रथम स्थान प्राप्त किया | YASHPREET KAUR  OF NAJAFGARH दिल्ली विशवविद्यालय से संगीत में महारथ हासिल की है और संगीत में कई उप्लब्दिया हासिल की है | YASHPREET KAUR OF NAJAFGARH  ने कई पंजाबी संगीत को अपनी आवाज दी है तथा अन्य कई संगीत प्रोतिगिता  में  भी हिस्सा ले चुकी है |

पिछले ४ महीनो से चल रहे प्रोग्राम आवाज पंजाब दी के फ़ाइनल में ४ लडके और ४ लडकिया पहले ख़िताब के लिये प्रोग्राम में थे | और इस में यश्प्रीत ने अपनी आवाज के जादू से बाजी मार ली | शनिवार रात प्रसारित इस प्रतियोगिता के जजों में जाने माने पंजाबी गायक जसपिंदर नरूला, अशोक मस्ती और हंस राज हंस शामिल थे |

NAJAFGARH, WEST DELHI जैसे place से YASHPREET KAUR की ये उपलब्धि संगीत के विद्यार्थियों के लिये प्रेरणा सरोतर है |

MH 1 TV Channel - Awaaj Punjab Di (4) 2010 program -
Yashpreet Kaur Video 1
Yashpreet Kaur Video 2
Yashpreet Kaur Video 3
News & Picture By : Manojeet Singh

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