Wednesday, November 17, 2010

पंडित जवाहर लाल नेहरू 14 नवम्बर 1889 - 27 मई 1964

आधुनिक भारत के निर्माता



मा.अत्तर सिंह आर्य डाबर वैस्टएण्ड़


जवाहर लाल नेहरू का जन्म प्र्रयाग में 14 नवम्बर 1889 ई0 के दिन पंडित मोतीलाल नेहरू के घर
मंे हुआ। इन्होंने अपनी शिक्षा इंग्लैण्ड मंे प्राप्त की और वहीं से बीए आनर्स तथा बैरिस्टरी
पास की। सन् 1912 में उन्होंने पटना के कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। सन् 1914 में उन्होंने गोखले की अपील पर 50 हजार रूपया इकट्ठा किया और इसे प्रवासी भारतीयों की सहायता के लिए
अफ्रीका भेजा। उन्होंने सन् 1916 में होम रूल आंदोलन में पूरे जोर-शोर से भाग लिया और
1919-1920 में अवध के किसानों की हालत को सुधारने के लिए आंदोलन चलाया तथा सफलता प्राप्त की। असहयोग आंदोलन में भाग लिया और जेल काटी। वे सन् 1923 से 1925 तक प्रयास नगर पालिका के प्रधान रहे। सन् 1927 में ब्रूसेल्स (बेल्जियम) में दलित राष्ट्रों के सम्मेलन में भाग लिया।

उस समय तक वे कई बार कांग्रेस के मंत्री रहे। वे पूर्ण स्वाधीनता के समर्थक थे और इसीलिए 1929 ई0 मंे इनकी अध्यक्षता में ही कांगे्रस ने पूर्ण स्वाधीनता का प्रस्ताव पास किया। उन्होंने सविनय अवेज्ञा आंदोलन तथा 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लिया और जेल गए।

1946 ई0 में वे अंतरिम सरकार में पहली बार प्रधानमंत्री बने और उस समय से लेकर आप 27 मई
1964 ई0 तक इसी महान पद पर प्रतिष्ठित रहे। स्वतंत्रता के बाद उन्होंने देश के पुर्ननिर्माण के लिए
बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य किए। वे समाजवादी विचारों में विश्वास रखते थे। इनका सहकारी खेती, पंचायती राज और अन्तर्राष्ट्रीय शांति मंे दृढ़ विश्वास था।

वे साम्राज्यवाद, पूंजीवाद, जातिवाद, छुआछूत और उपनिवेशवाद के घोर विरोधी थे। वे भारत को किसी भी गुट में शामिल करने के पक्ष में नहीं थे और तटस्थ रहना चाहते थे। उनकी विदेश नीति का मुख्य आधार पंचशील था।

उन्होंने निःशस्त्रीकरण के लिए संसार में अनुकूल वातावरण कायम किया। तटस्थ राष्ट्रों बाणडूंग
और बेलग्रेड सम्मेलनों में प्रमुख भाग लिया।
वे अपनी मृत्यु तक योजना आयोग के अध्यक्ष रहे। वे साम्प्रदायिकता और प्रांतीयता के विरोधी थे और उन्होंने भारत में भावनात्मक एकता स्थापित करने के लिए महान कार्य किए।
उन्होंने भारत में जमीनदारी उन्मूलन और अस्पृश्यता निवारण तथा नशाबंदी की दिशा में सराहनीय कार्य किया। उन्होंने अपना सारा जीवन हिन्दू-मुस्लिम एकता में लगा दिया। वे सच्चे मानव धर्म मंे विश्वास करते थे और सहिष्णुता और समानता तथा स्वतंत्रता के समर्थक थे। उन्होंने
पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध स्थापित किए।

चीन के साथ पूरी मित्रता स्थापित करने का भरसक प्रयत्न किया परन्तु चीन ने धोखे से भारत की बगल मंे छुरा घोपा जब 8 सितम्बर 1962 ई0 में चीनी सेनाओं ने भारत पर बड़े पैमाने पर आक्रमण किया।

जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्र के नाम संदेश प्रसारित करते हुए दृढ़ता के साथ कहा था ‘दुश्मन के हमले के सामने हम अपना सिर कभी नहीं झुका सकते चाहे उसका नतीजा कुछ भी हो। अब समय आ गया है कि हम इस खतरे को पूरी तरह समझ लें। देश की आजादी कायम रखने के लिए हमंे अपनी हर चीज न्यौछावर करने का तैयार रहना चाहिए।’

8 नवम्बर 1962 ई0 को लोकसभा में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उन्होंने घोषणा की ‘चीन साम्राज्यवादी हमलावरों की चुनौती हमें मंजूर है चाहे उसका कोई भी परिणाम क्यों न निकले। हमारा यह दृढ़ संकल्प है कि भारत हमारा प्यारा देश किसी भी हमलावार के आगे नहीं
झुकेगा और उसे निकालकर ही दम लेगा। भारत की लाखों-करोड़ों जनता ने संगठित रूप से यह दिखा दिया है कि उसे चीन की यह चुनौती मंजूर हैं।

आज देश में जो एकता और जोशों-खरोश का वातावरण दिखाई दे रहा है, यह शायद ही कभी
दिखाई दिया हो।’

27 मई 1964 ई0 को देश के कर्णधार तथा विश्व शांति के महान उपासक श्री जवाहर लाल नेहरू का
तीसरे पहर दो बजे दिल के दोरे से देहावसान हो गया और इस हृदय विदारक समाचार को सुनकर सारा संसार शोक में डूब गया।

श्री नेहरू न केवल भारतीय नेता ही थे अपितु विश्व के प्रमुख नेता भी थे। उन्होंने संसार में भारत के नाम को अपनी शांतमय नीतियों और अद्वितीय महान कार्यों के द्वारा ऊंचा किया।

26 मई 1965 को राष्ट्रपति डा. राधाकृष्णन ने राष्ट्र को संदेश दिया ‘श्री नेहरू बहुत अधिक
अध्यात्मवादी थे चाहे वे किसी विशेष धर्म को न मानते हों। उन्होंने राजनीतिक समस्याओं पर
नैतिक सिद्धान्त लागू किए। उनके नेतृत्व में भारत ने कोरिया, गाजा तथा कांगो में संयुक्त राष्ट्रसंघ
के शांति स्थापित करने के कार्यों में भाग लिया।

उन्होंने विश्व को दो सदैव लड़ने वाले गुटों में विभाजित होने से बचाया। उनकी संसदीय संस्थाओं में गहरी आस्था थी।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रसार तथा तेजी से औद्योगिकीकरण उन्होंने साधारण व्यक्ति को निर्धनता, बीमारी, निरक्र्षरता तथा भेदभाव से बचाने की कौशिश की। इसलिए उनकी समृति को कायम रखने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उनके शांति, न्याय तथा स्वतंत्रता के अधूरे कार्य को अपने देश तथा विदेशों में पूरा करें। उन्होंने अपने समय की सब राष्ट्रीय तथा विशेष अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं मंे भाग लिया परन्तु कभी भी उच्चतम सार्वजनिक आचरण को नहीं छोड़ा। यद्यपि वे अब हमारे साथ नहीं हैं परन्तु जो गुण उनके विद्यमान थे और जिन आदर्शों पर उन्होंने सदैव अमल किया वे अब भी हमारे साथ हैं। उन्होंने राष्ट्रसंघ के उद्देश्य पत्र के प्रति जितनी आस्था दिखाई उतनी शायद ही ओर किसी ने दिखाई हो।’ 14 नवम्बर को प्रतिवर्ष बच्चे बाल दिवस के दिन यह गाते रहेंगे ‘चाचा नेहरू अमर रहे।’

वे बच्चों से बहुत ही अधिक प्यार करते थे।

राष्ट्रमंडल खेलों मंे रजत पदक विजेता जोगेन्द्र कुमार को औचंदी में किया सम्मानित

राजेष सिवान डाबर वैस्टएण्ड़

नई दिल्ली। 7 नवम्बर को बवाना विधानसभा क्षेत्र के औचंदी गांव में राष्ट्रमंडल खेलों मंे रजत पदक विजेता जोगेन्द्र कुमार को सम्मानित किया। गांव वालों ने विजेता जोगेन्द्र कुमार को चांदी का मुकुट, चांदी का गदा व नोटों की माला पहनाकर सम्मनित किया तथा चीन में आयोजन एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने की कामना भी की।

इस दिन जोगेन्द्र कुमार को बवाना गांव मंे खुली जीप में बैठाकर रैली निकाली गई जो दरियापुर, जौंती होती हुई औचंदी गांव पहुंची जहां पर इस रैली ने सभा का रूप ले लिया। इस रैली में ग्रामीणों ने जगह-जगह जोगेन्द्र कुमार को नोटों की माला पहनाकर सम्मानित किया। इस सभा में पहलवान जोगेन्द्र कुमार को चांदी का मुकुट, गदा व नोटों की माला पहनाकर सम्मानित किया गया। इस सभा की खास बात यह रही कि ग्रामीणों ने जोगेन्द्र कुमार के गुरू चांदरूप को भी चांदी का मुकुट पहनाकर सम्मानित किया।

इस मौके पर नजफगढ़ के विधायक भरत सिंह व दिचाऊं कलां वार्ड के पार्षद कृष्ण कुमार ने राष्ट्रमंडल खेलों में कुश्ती प्रतियोगिता में रजत पदक जीतने पर खुशी जाहिर की और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

उन्होंने कहा कि हमारे दिल्ली व हरियाणा देहात के खिलाड़ियों ने राष्ट्रमंडल खेलों में दिखा दिया कि हम किसी भी मामले में देश के अन्य राज्यों के खिलाड़ियों से पीछे नहीं है।

उन्होंने कहा कि यदि हमारे खिलाड़ियों को सही समय पर सही प्रशिक्षण व सुविधाएं मुहैया करवा दी जाएं तो देश का ग्रामीण क्षेत्र विश्व में अपना डंका बजा सकता है और विश्व ने यह आजमाकर भी देख लिया है।
इस अवसर पर बवाना के विधायक सुरेन्द्र कुमार, बलवान सिंह, गंगाराम, मास्टर ओम प्रकाश, राज सिंह, लौंगा राम प्रधान आदि मौजूद थे।
खबरों के फोटो कैपसनः-

नजफगढ़ में किया स्वर्ण पदक विजेता योगेश्वर दत्त शर्मा को सम्मानित

पवन नलवाटी (डाबर वैस्टएण्ड) ;


नई दिल्ली। नजफगढ़ क्षेत्र न तो देश को अच्छे खिलाड़ी देने में पीछे हैं और न ही खिलाड़ियों को सम्मानित करने में। नजफगढ़ देहात ने देश को कई खेलों में अच्छे खिलाड़ी दिए हैं। यहां की मिट्टी से निकले खिलाड़ियों ने दिखा दिया कि नजफगढ़ क्षेत्र किसी भी मामले में पीछे नहीं है। ये वाक्य राष्ट्रीय महिला मंडल एवं बाल विकास की चैयरमेन सुमित्रा दहिया ने झदौड़ा रोड़ स्थित देव पब्लिक स्कूल के प्रांगण में स्कूल के चैयरमेन, एवं अध्यक्ष नजफगढ़ जिला किसान एवं खेत मजदूर मोर्चा, मा. मंजीत सिंह द्वारा आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में कुश्ती में हरियाणा के स्वर्ण पदक विजेता योगश्वर दत्त शर्मा के सम्मान समारोह कहे। इस समारोह के मुख्य अतिथि सुमित्रा दहिया व पश्चिमी दिल्ली के सांसद महाबल मिश्रा के पुत्र विनय मिश्रा थे।

इस अवसर पर विनय मिश्रा ने कहा कि जो खिलाड़ी खेलों में उज्जवल प्रदर्शन कर विश्व में भार
का नाम रोशन कर रहा है तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम भी उन खिलाड़ियों को अपनी तरफ से सम्मानित करके उनका हौसला बढ़ाएं। उन्होंने मास्टर मंजीत सिंह के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि मास्टर मंजीत ने स्वर्ण पदक विजेता योगेश्वर दत्त शर्मा को सम्मानित करके बड़ा ही अच्छा कार्य किया है। इनके अलावा हम सबका भी फर्ज बनता है कि हम समय-समय पर खिलाड़ियों को सम्मानित करके उनका हौसला बढ़ाएं।

मास्टर मंजीत सिंह ने पूरे क्षेत्र की ओर से स्वर्ण पदक विजेता योगेश्वर दत्त शर्मा को 51 हजार रूपये व एक चांदी का मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

अंत में मास्टर मंजीत सिंह ने कहा कि दिल्ली व हरियाणा देहात के खिलाड़ियों ने राष्ट्रमंडल खेलों में अपना परचम लहराकर अपने क्षेत्र के साथ-साथ देश का नाम रोशन किया है, लेकिन हमें बड़े ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जिस दिल्ली देहात के खिलाड़ियों ने विश्व में भारत का नाम रोशन किया है उनके लिए सरकार ने आज तक नजफगढ़ देहात में एक भी स्टेडियम का निर्माण नहीं कराया है। हम दावा करते हैं कि यदि सरकार नजफगढ़ देहात मंे खिलाड़ियों के लिए उच्च स्तर के स्टेडियम का निर्माण करा देती है तो देश को यहां से हजारों की संख्या में उच्च स्तर के खिलाड़ी मिल सकते हैं। हम समय-समय पर क्षेत्र में स्टेडियम की मांग करते रहे हैं लेकिन सरकार ने यहां पर स्टेडियम का निर्माण नहीं कराया परन्तु फिर भी देहात खिलाड़ियों भी दिखा दिया कि हम में कितना दम अतः सरकार खिलाड़ियों की ओर भी ध्यान देना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दिल्ली नगर निगम में विपक्ष के नेता जयकिशन शर्मा ने उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों का धन्यवाद करते हुए विश्वास दिलाया कि हम सरकार से नजफगढ़ देहात में स्टेडियम के निर्माण की मांग रखेंगे।

मंच का संचालन कृष्ण कुमार डागर ने किया।

इस मौके पर मुख्य रूप से दिल्ली प्रदेश के डेलीगेट ओमदत्त यादव, युवा नेता रमित सहरावत, सतबीर शर्मा, महेश सिंधवानी, संजय राठी, प्रदीप मलिक, राजेश नरवाल, बीना शर्मा, सतेन्द्र राणा,
चन्द्रभान प्रधान, चै0 ताराचन्द, रामबीर पहलवान (दिचाऊं) के अलावा सभी कालोनियों के प्रधान
मौजूद थे।

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